Tuesday, July 30, 2019

इंसाफ की मौत

हम सब की ज़िंदगी में कभी न कभी एक ट्रक आयेगा,
जो इन्साफ की उम्मीदों  को कुचल कर चला जायेगा !!
आप उस ट्रक पर बैठ कर चाँद पर जा सकते हैं,
या जंगलों में चीते के साथ फोटो भी खिंचवा सकते है !!
पर अगर आप नीचे जमीन पर चल रहे हैं
और आपके मन में भी कुछ बदलाव के ख्वाब पल रहे हैं ?
तो उन ख्वाबों से बाहर आइये,
चारों ओर नज़र दौड़ाइये
और फिर कोशिश करिये उस तेज
रफ्तार दौड़ते ट्रक से बचने की !!

अम्बेश तिवारी
30-07-2019

Saturday, January 19, 2019

वो हँसी कहाँ से आती है?

वो हँसी कहाँ से आती है?

पोर-पोर हँसता चेहरा
निर्बाध बहता
अविरल झरना खुशी का
भरसक फैले होंठ
खिली बत्तीसी
आँखों से झरती, गिरती, ढुलती
उन चेहरों की
वो हँसी कहाँ से आती है?

कड़ी धूप, उमसती गर्मी
सिर पर थैला, उमगते कदमों से
गली, मोहल्ला, हाट बाजार
लाल जलेबी, भजिए खाते
सज-सँवरकर
धूप को धूल चटाते
अल्ह़ड़ उन चेहरों की
वो हँसी कहाँ से आती है?

कहीं बेफिक्र, गर्वीली
निश्छल, लजाती कहीं
कभी वजह से
बेवजह ही कभी
खिलती, खनखनाती, फूटती,फैलती
उन चमचमाते गहनों सजे चेहरों की
वो हँसी कहाँ से आती है?

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अम्बेश तिवारी
19.01.2019

मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा बन नहीं पाया !

  मेरे पापा कोई सुपरमैन नहीं हैं पर फिर भी, मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा कभी बन नहीं पाया ! स्कूटर खरीदने के बाद भी चालीस की उम्र ...