आज मम्मी का जन्मदिन है ! वैसे तो कोई बेटा अपनी माँ को क्या दे सकता है क्योंकि सबकुछ तो उनका ही का दिया हुआ है पर फिर भी आज उनके जन्मदिवस उनके सदैव स्वस्थ रहने और दीर्घायु होने की कामना के साथ शास्त्री नित्यगोपाल कटारे की लिखी यह बेहद मार्मिक कविता मैं अपनी मम्मी को समर्पित करता हूँ !
तुम्ही मिटाओ मेरी उलझन, कैसे
कहूँ कि तुम कैसी हो !
कोई नहीं सृष्टि में तुम-सा, माँ तुम बिलकुल माँ जैसी हो ।
कोई नहीं सृष्टि में तुम-सा, माँ तुम बिलकुल माँ जैसी हो ।
ब्रह्मा तो केवल रचते है तुम तो
पालन भी करती हो
शिव हरते तो सब हर लेते, तुम
चुन-चुन पीड़ा हरती हो
किसे सामने खड़ा करूँ मैं और
कहूँ फिर तुम ऐसी हो !
कोई नहीं सृष्टि में तुम-सा, माँ
तुम बिलकुल माँ जैसी हो।।
ज्ञानी बुद्ध प्रेम बिन सूखे, सारे
देव भक्ति के भूखे,
लगते हैं तेरी तुलना में, ममता बिन सब रुखे-रुखे,
लगते हैं तेरी तुलना में, ममता बिन सब रुखे-रुखे,
पूजा करे, सताए कोई, सब के लिए
एक जैसी हो।
कोई नहीं सृष्टि में तुम-सा, माँ
तुम बिलकुल माँ जैसी हो।।
कितनी गहरी है अदभुत-सी, तेरी
यह करुणा की गागर,
जाने क्यों छोटा लगता है, तेरे आगे करुणा-सागर,
जाने क्यों छोटा लगता है, तेरे आगे करुणा-सागर,
जाकी रही भावना जैसी, मूरत देखी
तिन्ह तैसी हो ।
कोई नहीं सृष्टि में तुम-सा, माँ
तुम बिलकुल माँ जैसै हो।।
मेरी लघु आकुलता से ही, कितनी
व्याकुल हो जाती हो
मुझे तृप्त करने के सुख में, तुम भूखी ही सो जाती हो।
मुझे तृप्त करने के सुख में, तुम भूखी ही सो जाती हो।
सब जग बदला मैं भी बदला, पर तुम
वैसी की वैसी हो।
कोई नहीं सृष्टि में तुम-सा, माँ
तुम बिलकुल माँ जैसी हो।।
तुम से तन मन जीवन पाया, तुमने
ही चलना सिखलाया,
पर देखो मेरी कृतघ्नता, काम तुम्हारे कभी न आया
पर देखो मेरी कृतघ्नता, काम तुम्हारे कभी न आया
क्यों करती हो क्षमा हमेशा, तुम
भी तो जाने कैसी हो !
कोई नहीं सृष्टि में तुम-सा, माँ
तुम बिलकुल माँ जैसी हो।।
-शास्त्री
नित्यगोपाल कटारे