Tuesday, September 20, 2022

कितना मुश्किल होता है !!

सबकी सुनना, पर चुप रहना, कितना मुश्किल होता है,
उससे बिछड़ना पर खुश रहना, कितना मुश्किल होता है !
ज़िन्दा रहने की खातिर हर रोज़ यहाँ मरना पड़ता, 
मरने तक फिर ज़िन्दा रहना, कितना मुश्किल होता है !!
सपनों के मर जाने का अफसोस नहीं होता लेकिन,
फिर भी सपने बुनते रहना, कितना मुश्किल होता है!!
महलों में रहने वाले क्या जाने तपिश दुपहरी की,
हमसे पूछो धूप में जलना कितना मुश्किल होता है!!
जीवन के इस मोड़ पे आकर मुझको ये अहसास हुआ
बीते वक्त का वापस आना, कितना मुश्किल होता है।
इतने दुःख जीवन में पाकर मुझको ये मालूम हुआ
अपनी ही तकदीर से लड़ना, कितना मुश्किल होता है
गीली आँखें, दिल पर पत्थर, चेहरे पर मुस्कान लिए,
तेरी यादों के संग जीना, कितना मुश्किल होता है
अपने गम को सह लेता है हर कोई इस दुनिया में
पर दूजे के गम को सहना कितना मुश्किल होता है।

Sunday, September 18, 2022

हमने भरपूर बचपन जिया है !!!

हम 70s और 80s वाली पीढ़ी हैं, हमने भरपूर बचपन जिया है !!
हमने दस पैसे की चार संतरे वाली कम्पट खाई है,
हमने रसना और गोल्ड-स्पॉट बड़े चाव से पिया है।
हम 70s और 80s वाली पीढ़ी हैं, हमने भरपूर बचपन जिया है !!

हम नाचे हैं मिथुन-दा के डिस्को डांस पर,
हमने हसन जहाँगीर का हवा हवा खूब गाया है,
हमने अपने तो छोड़िए, पड़ोसियों के रिश्तेदारों से भी रिश्ता निभाया है।
हमने ट्रांजिस्टर पर बिनाका संगीत माला और हवा महल की कड़ियाँ खूब सुनी है,
हमने बालू के महल बनाये हैं, और मौरंग के ढ़ेर में से शंख और सीपियाँ खूब चुनी है।
हमने बिना बिजली के न जाने कितनी रातें छतों पर सोकर बिताई है,
हमने नंदन, चंदामामा, बिल्लू, पिंकी, और चाचा चौधरी से खूब दोस्ती निभाई है।
हमने ट्रेन में परिवार के साथ होल-डाल और सुराही लेकर सफर किया है।
हम 70s और 80s वाली पीढ़ी हैं, हमने भरपूर बचपन जिया है !!

हमने वीडियो पर देखी हैं एक रात में तीन से चार पिक्चर,
कमरे में खूब चिपकाएं हैं माधुरी और श्रीदेवी के पोस्टर,
हम टेप रिकॉर्डर में फंसी हुई कैसेट की बेसुरी आवाज़ पर खूब खिलखिलायें हैं,
हमने 8रू की टिकट पर बालकनी में फ़िल्म देखी है, हमने एक रुपये में 8 गोलगप्पे भी खाएं हैं!
हमने देखीं हैं पीसीओ पर कॉल के लिए लगने वाली लम्बी लम्बी कतारें,
हम बैलगाड़ी में घूमें और ताँगे पर भी बैठे, हमने मेले भी देखे गँगा के किनारे!!
हमने काले चोंगे वाले लैंडलाइन फोन और पेजर से लेकर स्मार्ट मोबाइल तक का सफर किया है!!
हम 70s और 80s वाली पीढ़ी हैं, हमने भरपूर बचपन जिया है !!

"हम-लोग, बुनियाद, रामायण, महाभारत" हमारे ही सामने टीवी पर आए हैं,
देखा है चंद्रकांता और चित्रहार-रंगोली के गाने, स्कूल में बड़े शौक से गुनगुनाये हैं!
मिनरल वाटर या आरओ जानते नहीं थे हम, नल के पानी से कभी बीमार नहीं हुए,
खूब खाएं हैं ठेले से जलेबी और समोसे, बारिश में भीगने से हमें कभी बुखार नहीं हुए!!
देर शाम तक मैदान में खूब खेलते थे चाहे घरवाले कितना भी डांटे,
टीचर की शिकायत कभी नहीं की चाहे मुर्गा बने या खाये हो गाल पर चाँटे !!
फेल होने पर कभी रोये नहीं, पढ़ाई को बोझ समझ कर कभी प्रेशर नहीं लिया है!!
हम 70s और 80s वाली पीढ़ी हैं, हमने भरपूर बचपन जिया है !!

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अम्बेश तिवारी
18.09.2022

मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा बन नहीं पाया !

  मेरे पापा कोई सुपरमैन नहीं हैं पर फिर भी, मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा कभी बन नहीं पाया ! स्कूटर खरीदने के बाद भी चालीस की उम्र ...