Saturday, August 6, 2022

बस हमारे पास इतना ही बचा है !!

दो  नयन  हैं  रतजगे   से होंठ  पर  किस्से  ठगे  से
हाथ  रेखा  बिन   अभागे पाँव कुछ कुछ डगमगे से
और  मन  के  द्वार कोलाहल मचा है
बस  हमारे  पास  इतना  ही  बचा  है

एक   सावन   है   सुलगती   आग   जैसा
और    कुछ    अनुबंध   हैं   आधे   अधूरे
शाम है, कुछ सिसकियाँ हैं, हिचकियाँ भी
स्वप्न   हैं   जो    हो   न   पाए   मीत   पूरे
खेलते  हैं  खेल  जो  विधि  ने  रचा है
बस  हमारे  पास   इतना  ही  बचा  है

मोड़  वह  जिस  पर मुड़े तुम फिर न लौटे
वह  गली  जिसमें  तुम्हारा  घर  दिखा था
चित्र  वह  जिसको  सॅंभाला है अभी तक
गीत  वह  जो  देखकर  तुमको लिखा था
और यह जग, प्रेम जिसको कब पचा है
बस  हमारे  पास   इतना   ही   बचा  है

2 comments:

Anil Awasthi said...

Such a great peace!

Anil Awasthi said...

Such a great piece!

मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा बन नहीं पाया !

  मेरे पापा कोई सुपरमैन नहीं हैं पर फिर भी, मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा कभी बन नहीं पाया ! स्कूटर खरीदने के बाद भी चालीस की उम्र ...