मेरे पापा कोई सुपरमैन नहीं हैं पर फिर भी,
मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा कभी बन नहीं पाया !
स्कूटर खरीदने के बाद भी चालीस की उम्र तक साइकल से ऑफिस जाना,
अब भी याद है मुझे उनका एक एक रुपया बचाना !
सुबह और शाम तीन तीन घण्टे ट्यूशन पढ़ाना !
थक कर चूर होकर देर रात को घर वापस आना !
मम्मी से कभी हिसाब नहीं लेते थे पर उन्हें सब एहसास रहता था !
हम बच्चों की छोटी छोटी ख़्वाहिशों का उन्हे आभास रहता था !
पापा खामोश रहते हैं, खुद को व्यक्त करना उन्हें कभी नहीं आया,
पर हमको उनका उदास चेहरा पढ़ना शायद उन्होने ही था सिखाया !
हमारे बीमार होने पर बहुत घबराते हैं पापा !
स्वेटर क्यों नहीं पहना ? मफ़लर कहाँ हैं तुम्हारा ? अब तो जैकेट निकाल लो !
इन बातों पर अब भी डांट लगाते हैं पापा !
पर उनका इस तरह डांटना, मुझे अब बुरा नहीं, बहुत अच्छा लगता है,
क्योंकि आज मैं खुद एक पिता हूँ, पर यह एहसास बहुत तसल्ली देता है,
कि कोई है, जिसे यह आदमी अब भी बच्चा लगता है!
उनके साथ का मतलब, जैसे बरगद के पेड़ की छाया,
जीवन के हर झंझावात से उनके वरदहस्त ने ही तो बचाया!
उनके घर में होने से दिल में एक सुकून का एहसास रहता है !
वो सदा साथ रहेंगे बस मन में यही विश्वास रहता हैं !
आज पापा के जन्मदिन दिन पर मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं,
मुझ जैसा आलसी, लापरवाह, फक्कड़ इंसान यदि थोड़ा भी जिम्मेदार बना है
तो यह उनके अनुशासन, और अच्छी परवरिश का ही परिणाम है !
यह उनके संस्कारों का ही असर है कि मेरा समाज में थोड़ा बहुत नाम है !
उन्होने छानने की बहुत कोशिश की पर मैं अब भी पूरी तरह से छन नहीं पाया
मेरे पापा कोई सुपरमैन नहीं हैं पर फिर भी,
मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा कभी बन नहीं पाया !
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