एक कविता -
कुछ अनकही सी बातें मेरे और तुम्हारे बीच
हवा में डोलती हैं,
हम कहते कुछ और हैं पर निगाहें कुछ और बोलती हैं !
समाज की मर्यादा, रिश्तों के बंधन और
उम्र की सीमायें रोकती है हमें !
तुम क्या सोचोगी, मैं क्या जवाब दूँगा,
यह आशंकाएं टोकती हैं हमें !
और हम रह जाते हैं सिर्फ Good morning, Good night, और Nice pic के बीच झूलते !
हर बार यही सोचते कि आज तो कह ही देंगे,
और हर बार फिर यही बात भूलते !
ज़िन्दगी यूँ ही धीरे धीरे निकल जायेगी हाथ से,
और हम रह जाएंगे दूर मन की बात से !
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अम्बेश तिवारी
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