आया हूँ सुनाने आपको मैं कविताएं किन्तु,
मेरी कविताओं में न कुछ भी विशेष है !
भूख है, उदासी है, तपन धूप की मिलेगी,
कभी जो न पूरे होते सपने वो शेष हैं ।
इश्क़ और आशनाई कैसे मैं सुनाऊँ जब,
जाति-धर्म मज़हबों में बँट रहा यह देश है !
मेरे गीतों में मिलेगा कष्ट आम आदमी का,
दर्द बांटता हूँ मेरा नाम "अम्बेश" है !
Friday, June 24, 2016
मेरा परिचय -
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मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा बन नहीं पाया !
मेरे पापा कोई सुपरमैन नहीं हैं पर फिर भी, मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा कभी बन नहीं पाया ! स्कूटर खरीदने के बाद भी चालीस की उम्र ...
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