Thursday, December 19, 2013

राहुल जी संभल जाओ, लोग आपको फंसा रहे हैं.......................

आदरणीय राहुल जी,
      वैसे मुझे पूरा विश्वास है कि आप  यह पत्र पढने वाले नहीं हैं फिर भी मैं लिख रहा हूँ क्योंकि पता लगा है कि आपको सब मिलकर कांग्रेस का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने जा रहे हैं, अगर कहीं ऐसा हो गया तो मुझे बहुत बुरा लगेगा क्योंकि ये तो वही बात हुई कि करे कोई और भरे कोई | सब मिलकर आपको बलि का बकरा बनाना चाहते हैं | पर खैर इतनी बड़ी जिम्मेदारी लेने से पहले आपको कुछ बातें गहराई से समझ लेनी चाहिए |
मैं जानता हूँ कि आपने अपने चारों ओर जो चाटुकार मंडली बना रखी है वो कभी भी आपको आपके मंत्रियों द्वारा की गयी गलतियों के बारे में ईमानदारी से राय नहीं देगी पर मैं कांग्रेस का एक बहुत पुराना वोटर होने के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूँ | आपका 2004-2009 तक का यूपीए शासन बेहद अच्छा और उत्साहजनक था पर 2009 के बाद से आप लोग लगातार घोटालों और भ्रष्टाचार के दलदल में फंसते चले गए पर शायद आपकी पार्टी के नेता और मंत्री इस अहंकार में आ गए कि न तो आप कभी गद्दी से हटेंगे और न ही भाजपा कभी सत्ता में आ सकती है पर क्या आपके नेताओं और मंत्रियों को कभी यह एहसास नहीं हुआ कि जनता अपनी खुली आँखों से यह सबकुछ देख रही है और हर चाल को समझ रही है, इसलिए कभी न कभी इसका अंत सुनिश्चित है | आप लोगों ने आम जनता की आवाज़ सुनना, उसकी मंशा को समझना, उसके कष्टों को समझना कुछ भी जरूरी नहीं समझा | आप बताइए! सर एक आम आदमी जो साधारण नौकरी करता है (जिसका वेतन साल में एक बार 500 से 1000 रुपये बढ़ता है), जो रिक्शा चलाता है, मजदूरी करता है, सब्जी की दुकान लगाता है, सड़कों से कचरा बीनता है, आपकी सरकार की गलत नीतियों के कारण बढ़ी महंगाई से कैसे मुकाबला कर सकता है? आप कहते हैं सस्ता अनाज देंगे पर किसकी जेब से? मध्यमवर्ग की जेब काट कर ही देंगे न? ये जो दिल्ली में आम आदमी पार्टी हैं न ये सिर्फ और सिर्फ मध्यमवर्ग है और यह हर जगह है | यह UP, MP, BIHAR, PUNJAB हर जगह दुखी है| पर आप इस आम मध्यमवर्गीय व्यक्ति की तकलीफ को समझने में पूरी तरह से असफल रहे |
आप उसके वोटों की इस गणित को समझने में भी असफल रहे कि पहले सिर्फ 35-45% वोटिंग होती थी और एक बहुत बड़ा वर्ग जो की मध्यमवर्ग और युवावर्ग होता था वो न तो वोट डालता था और न हीं राजनीति के प्रति इतना जागरूक होता था पर अब 65-75% और कहीं कहीं 80% वोटिंग हो रही है और यह जो एक्स्ट्रा 30% वोटर है यह वही मध्यमवर्गीय और गरीब युवा है जो आज महंगाई, बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार से पीड़ित है पर आपने, आपकी पार्टी ने, और आपके पार्टी के नेताओं ने न सिर्फ इनकी अनदेखी की बल्कि मौके बेमौके इनका मज़ाक भी उड़ाया | आज वही युवा आपका मज़ाक उड़ा रहा है | एक और बात जो आप और आपकी पार्टी के नेता समझने में असफल रहे कि जिस गरीब और निम्नवर्गीय जनता के लिए आप मनरेगा, भूमि अधिग्रहण बिल, और खाद्य सुरक्षा बिल लेकर आये हैं वो भी सिर्फ इस मध्यमवर्गीय युवा के मौखिक और सोशल मीडिया पर किये गए प्रचार के चलते आपसे दूर होता चला जा रहा है | पर आप और आपकी पार्टी के नेता उस मध्यमवर्गीय युवा की ताकत का वास्तविक आंकलन करने में असफल रहे | ये निम्नवर्गीय जनता अभी इतनी समझदार नहीं है कि टीवी पर दिखाए गए आपके लुभावने विज्ञापनों का सही आंकलन कर सके | आपने दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान और म.प्र. में खूब विज्ञापन दिखाए पर उसका कोई असर नहीं हुआ लेकिन जब उसी निम्नवर्गीय जनता के आस पास रहने वाला कोई मध्यवर्गीय व्यक्ति (जो उसके रोज़गार का साधन उसको मुहैया कराता है) उसे आपके खिलाफ भड़काता है तो आपकी सारी केंद्रीय लाभकारी योजनाओं के बावजूद वो आपके विरूद्ध हो जाता है |
इसके अलावा एक और ख़ास बात जो आप समझने में असफल रहे वो यह कि इस देश में अभी भी 90 करोड़ हिन्दू रहते है और सिर्फ 20 करोड़ मुस्लिम | यह 90 करोड़ हिन्दू भले जातियों के आधार पर आपस में विभाजित हों पर जब बात धार्मिकता की आती है तो सब एक हो जाते हैं| आपकी अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीति के कारण उस निम्नवर्गीय हिन्दू समुदाय को बीजेपी बड़ी आसानी अपनी तरफ मोड़ रही है जिसे कायदे से आपकी केंद्र सरकार की योजनाओं से लाभान्वित होने के कारण आपके साथ खड़ा होना चाहिए था| आपके नेता ऐसे ऐसे बयान देते रहते हैं कि उन्हें न तो बहुसंख्यक समुदाय की परवाह है, और न देश की सुरक्षा की उनके लिए सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय के वोट जरूरी है| आपको क्या लगता है कि भाजपा जो इतने भारी बहुमत से म.प्र., राजस्थान, या छत्तीसगढ़ में जीती है ये सिर्फ भाजपा के मुख्यमंत्रियों का अच्छा काम है या श्री नरेन्द्र मोदी का कोई जादू है? जी ऐसा 100% बिलकुल नहीं है! इसमें बहुत बड़ा हाथ आपकी सरकार, नीतियों, कार्यप्रणाली और आपके नेताओं के दिए गए बयानों के प्रति आम जनता का गुस्सा है और भाजपा और श्री नरेन्द्र मोदी ने सिर्फ इस गुस्से की आग को भड़काने के लिए खूब हवा दी है|
पर मैं यह मानता हूँ कि इस देश को न तो नरेन्द्र मोदी की जरूरत हैं, न राहुल गाँधी की और न ही अरविन्द केजरीवाल की बल्कि इस देश को जरूरत है चुनावी सिस्टम में व्यापक बदलाव की, वोट, तुष्टिकरण, जाति, धर्म, भाषा, धनबल, बाहुबल और घृणा की राजनीति के अंत की, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, अशिक्षा, जैसी समस्यायों के निदान के लिए मजबूत और दृढ इच्छाशक्ति वाले नेतृत्व की, जनता की समस्याओं को समझने वाले नेता की | व्यक्ति कभी बदलाव नहीं लाते बल्कि व्यक्तियों द्वारा बनाया गया सिस्टम एक बड़ा बदलाव ला सकता है |
मैं आपका ध्यान भाजपा की एक बहुत बड़ी कमी की ओर ले जाना चाहता हूँ कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भले ही कितना भी सशक्त हो पर इनके जनप्रतिनिधि जैसे विधायक और सांसद जमीनी स्तर पर कभी जनता के लिए काम नहीं करते हैं बल्कि हमेशा नशे में रहते हैं और जनता को भी नशे में रखते हैं| कभी इन्होने श्री अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता और राम मंदिर के मुद्दे का नशा लोगों में फैलाया था और सोचते रहे सिर्फ उस नाम और मुद्दे के सहारे बिना काम किये जनता इनको वोट देती रहेगी पर जब वो नशा टूटा तो जनता जाग गयी और यह लोग सत्ता से बाहर हो गये| आज यह लोग नरेन्द्र मोदीके नशे में है और वही नशा जनता में फैला रहे हैं पर यकीन मानिए यह नशा भी उतर जाएगा, एक बार उन्हें सत्ता में आ जाने दीजिये| यह बात आप भी जानते हैं कि श्री नरेन्द्र मोदी के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है कि वो आते ही देश की सारी समस्याएं पल भर में दूर कर देंगे| श्री नरेन्द्र मोदी भले ही कितने अच्छे नेता हो पर मुझे पूरा यकीन है कि इनके जनप्रतिनिधि फिर नशे में ही रहेंगे और जनता के लिए काम नहीं करेंगे | आप देखिये इनका पूरा प्रचार सिर्फ नरेन्द्र मोदी के नाम पर और कांग्रेस की कमियां गिनाने पर केन्द्रित है | किसी भी भाजपा के नेता या प्रचारक से यह पूछ लीजिये कि 2004 या 2009 में लोकसभा चुनाव क्यों हारे थे तो कोई भी जवाब नहीं दे पायेगा | पर फिर भी लोग उन्हें पसंद कर रहे हैं और विकल्प के रूप में देख रहे हैं क्योंकि लोग आपसे नाराज हैं, दुखी हैं और उनके पास कोई और विकल्प नहीं है| आपको यह समझने की जरूरत है कि ठीक इसी तरह जब 5 साल बाद जब लोग भाजपा से निराश, नाराज़ और दुखी होंगे तो वो फिर से विकल्प की तलाश करेंगे|
तब आपको वो विकल्प बनने के लिए अपने आपको अभी से तैयार करना होगा वर्ना कहीं ऐसा न हो कि जैसे आज दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा के विकल्प के रूप में सामने हैं वैसे ही 5 साल बाद वो सारे देश में भाजपा का विकल्प बन जाये | यहाँ एक बात आपके पक्ष में है कि आपके पास सारे भारत में एक बनी बनाई पहचान और मजबूत संगठन है जो अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी को बनाने में अभी बहुत समय लगेगा| यही वो समय है जब आप अपनी पार्टी की कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करें और खुद को और अपनी पार्टी को मध्यम और निम्नवर्गीय युवाओं से जोड़े| इसके लिए आपको अपने आसपास उन लोगों को रखना होगा जो बिना किसी निजी स्वार्थ के आपको निष्पक्ष सलाह दे सके न कि ऐसे लोग जो आपको वास्तविकता से दूर रखते हैं|
एक और बहुत महत्वपूर्ण बात जो आपको समझनी चाहिए कि एक ऐसी चीज़ जो आपके पास श्री नरेन्द्र मोदी से बहुत ज्यादा है और वो है समय | आप अभी 43 वर्ष के हैं और मोदी 63 के | सोचिये आप के पास अभी सक्रिय राजनीति के लिए 40 वर्ष हैं और नरेन्द्र मोदी के पास सिर्फ 20 | अभी जीवन बहुत बड़ा है और बहुत सी लड़ाइयाँ है | सोचिये जब आप 63 के होंगे तब मोदी 83 के होंगे तब वो आयु के उस ढलान पर होंगे जहाँ आज लाल कृष्ण आडवाणी है| जहाँ तक मैंने श्री नरेन्द्र मोदी को समझा है मेरे ख्याल से यदि वो 10-15 साल भाजपा में शीर्ष पद पर रह जाते हैं तो भाजपा में उनके बराबर कोई नेता नहीं होगा | तब श्री नरेन्द्र मोदी के बाद भाजपा में नेतृत्व का वही संकट खड़ा होगा जो 80 के दशक में श्रीमती इंदिरा गाँधी की मृत्यु के बाद कांग्रेस में था| 
राहुल जी हम कांग्रेस के वोटर हैं और 1947 से कांग्रेस का समर्थन करते आये हैं, हमने तब भी कांग्रेस को वोट दिया जब 1977 में पूरा देश जयप्रकाश नारायण के जनांदोलन का समर्थन कर रहा था, तब भी जब विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पूरे देश में बोफोर्स घोटाले के चलते एक कांग्रेस विरोधी माहौल बना दिया था | हम तब भी कांग्रेस के साथ थे जब 1991, 1996, 1998, 1999 पूरा उत्तर भारत भाजपा के राम मंदिर आन्दोलन और अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता के साथ खड़ा था| उस समय भी हम आपके साथ थे जब कांग्रेस नरसिंह राव, सीताराम केसरी, की नेतृत्व अक्षमता, शरद पवार, अर्जुन सिंह, और नारायण दत्त तिवारी जैसे नेताओं के विरोध और राजेश पायलट, माधवराव सिंधिया और जीतेन्द्र प्रसाद की मृत्यु के कारण बेहद कमजोर हालत में थी |
पर राहुल जी, आज हमारा पूरा परिवार, पूरा मोहल्ला, सारे रिश्तेदार, मित्र, परिचित, सहकर्मी और जिससे भी मैं मिलता हूँ सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस का विरोध करते हैं | उनमे से कुछ नरेन्द्र मोदी और भाजपा को वोट देने की बात करते, कुछ आम आदमी पार्टी को समर्थन देते हैं और कुछ अपने अपने निजी स्वार्थों और समीकरणों के कारण सपा और बसपा को वोट देना चाहते है पर पिछले 6 महीने में मुझे एक भी आदमी ऐसा नहीं मिला जो खुल कर आत्मविश्वास के साथ कांग्रेस को वोट या समर्थन देने की बात कहता हो |
मैं यह कहना चाहता हूँ कि भले 2014 की गेंद आपके हाथ से फिसल चुकी हो पर आपके लिए आने वाले 5 साल सुनहरा मौका है इस देश की राजनीति को बदलने का | आप लगे रहिये, अपने आपको तपाते रहिये और देखिएगा 5 या 10 साल बाद फिर देश आपकी तरफ देख रहा होगा| तब तक हो सके तो अपने आसपास बैठे दिग्गियों, मनीष तिवारिओं, सिब्बलों, और चिदाम्बरमों से छुटकारा पा लीजिये |

आपके उत्तर का अभिलाषी
कांग्रेस का एक परम्परागत वोटर 

मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा बन नहीं पाया !

  मेरे पापा कोई सुपरमैन नहीं हैं पर फिर भी, मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा कभी बन नहीं पाया ! स्कूटर खरीदने के बाद भी चालीस की उम्र ...