Thursday, May 19, 2022

संस्मरण : इंटरव्यू भाग-2

संस्मरण : इंटरव्यू  भाग-2
जिन्होंने पिछला भाग नहीं पढ़ा वो कमेंट में दिए लिंक पर जाकर पढ़ लें जिससे आगे की कहानी समझ में आ जाये।

गतांक से आगे-
भण्डारी साहब की बात सुनकर मैं आश्चर्य से उनकी ओर देखता रह गया !! फिर उनको Thank You Sir बोलकर मैं उनके केबिन से निकला और याशिका मैडम के पास पहुंचा !!

"मैम वो भण्डारी सर ने आपसे मिलने के लिए..."
मेरा वाक्य पूरा होता इससे पहले ही उसने इशारे से मुझे बैठने के लिए बोला !! 
मैं बैठ गया ! उसने चपरासी को बुलाया और मेरी ओर देखकर बोली आप चाय लेंगे या कोल्डड्रिंक ?
Anything Mam !! मैंने जवाब दिया !
उसने चपरासी से दो चाय लाने को कहा फिर मुझे सामने बने एक छोटे से कॉन्फ्रेंस रूम में बुलाया और पूछा "आप पहले कभी बॉम्बे गए हैं ?"
मैंने न में सिर हिलाया तो वो बोली 
"ओके! अब मेरी बात ध्यान से सुनिए ! हमारा ऑफिस Lower Parel में बांद्रा-कुर्ला रोड पर है ! तो आपको लोकल से अंधेरी स्टेशन उतर कर West side जाना होगा! वहाँ से ऑटो या बस पकड़ कर जाना होगा !! मुम्बई में आपको लोकल ट्रेन से ही सफर करना होगा जो बेहद crowded होती है ! इसलिए luggage कम से कम ले जाना और जिस स्टेशन में उतरना हो उससे एक स्टेशन आगे का टिकट लेना ! जाते ही सबसे पहले Mumbai Local Train Guide खरीद लेना, उसमें रुट मैप बना रहता है तो जहाँ उतरना हो उससे एक स्टेशन पहले लोकल के गेट पर आ जाना !! लोकल केवल 30 सेकंड रूकती है उसी में चढ़ने वाले चढ़ते हैं और उतरने वाले उतर जाते हैं ! So be attentive !! यहाँ की तरह सो मत जाना। एक बात का खास ख्याल रखना कि हर लोकल में दो डिब्बे सिर्फ महिलाओं के लिए और दो डिब्बे फर्स्टक्लास के होते हैं। वो डिब्बे, बाकी डिब्बों से कुछ खाली दिखेंगे पर गलती से भी महिला डिब्बे या फर्स्टक्लास में मत बैठ जाना वरना बाद में बहुत पछताओगे! दूसरी बात Western Line में बांद्रा और Central Line में Sion से आगे साउथ बॉम्बे में ऑटो नहीं चलता है तो वहाँ लोकल या बस से ही सफर करना! गलती से भी टैक्सी मत करना! वरना जितने पैसे ले जा रहे हो वो एक बार में ही उड़ जाएंगे !! मैं किसी मन्त्रमुग्ध भक्त की तरह उसके प्रवचन बड़े ध्यान से सुन रहा था! फिर उसने एक पेपर पर कम्पनी का पूरा पता, फ़ोन नंबर, और वहाँ जाकर किससे मिलना है यह सारी detail लिखकर दे दी! 
वो मंगलवार दिन था और मुझे शनिवार को सुबह 10 बजे मुम्बई में इंटरव्यू देना था !! इतनी जल्दी रिज़र्वेशन मिलने का सवाल ही नही था तो मैंने उससे पूछा "मैडम ! यह जून का महीना है और इतनी जल्दी ट्रेन में सीट तो मिलेगी नहीं तो मैं जाऊंगा कैसे ?
उसने मुस्कराते हुए जवाब दिया "That's not our problem !! You have to manage anyhow !! अगर टी.टी. को अलग से कोई पैसा देना पड़े तो वो भी मिल जायेगा But you have to reach there at given time, otherwise you'll loose the opportunity !! 
मैंने अपनी चाय खत्म की, उसे thanks कहा और वहाँ से निकल पड़ा ! शाम 5 बजे घर पहुंचा! मम्मी-पापा को पूरी बात बताई ! और कहा कि किसी भी तरह से शुक्रवार की शाम तक मुम्बई पहुँचना है !! 
पापा ने पूछा "मुम्बई में रुकोगे कहाँ?" और "जाओगे कैसे?"
मुझे दोनों जवाब नहीं मालूम थे !
मैंने कहा "कुछ जुगाड़ करते हैं !!" 
अब कानपुर के लौंडे को और कुछ आता हो या न आता हो पर जुगाड़ टेक्नोलॉजी आती है !! 
मुझे याद आया कि कानपुर सेंट्रल के बाहर शकील पानवाले को मुम्बई के टिकट दिलाने में महारत हासिल है ! मैं सीधा शक़ील के पास पहुँचा ! उससे बात की तो वो बोला "हो जाएगा जुगाड़ पर 700 रू लगेंगे।" उन दिनों मुम्बई का टिकट 300 रू के आसपास था और वो दुगुने से ज्यादा माँग रहा था !! मैं उससे पैसे कम करवाने की मशक्कत में लगा ही था कि सामने से मुझे रमेश अंकल आते दिखे !! रमेश अंकल (पापा के दोस्त) रेलवे में TTE थे ! मैं दौड़कर उनके पास पहुँचा और पैर छुए !! 
"यहाँ कैसे?" उन्होंने पूछा! 
मैंने उन्हें पूरी बात बताई तो वो बोले "कहाँ इस fraud शक़ील के चक्कर मे पड़ गए ! यह किसी दूसरे के नाम से टिकट देगा और अगर कहीं रास्ते में बैच पड़ गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे!" 
मैंने कहा "फिर क्या करूँ अंकल मुम्बई तो जाना ही है !" वो बोले "तुम कल 4 बजे तक आगरा फोर्ट स्टेशन में आकर मुझसे मिलो ! मैं वहाँ से तुम्हें मुम्बई भिजवा दूँगा! हर हालत में परसों रात तक मुम्बई पहुँच जाओगे!" मैं निश्चिंत हो गया ! वहाँ से वापस घर आकर मुम्बई जाने की तैयारी में जुट गया ! मम्मी अभी भी चिन्तित थीं कि पहली बार इतने बड़े शहर में अकेले जा रहा हूँ और वहाँ रुकने का कोई ठिकाना भी नहीं ! अब मुम्बई में हमारे कानपुर जैसे धर्मशाला तो होते नहीं थे !! बड़े होटल में रुकने का खर्च हम जैसे लोगों के लिए और भी मुश्किल था ! खैर मैंने उन्हें समझाया कि मैं किसी सस्ते होटल या लॉज में जुगाड़ कर लूँगा !! 

तो दूसरे दिन, मैं एक बिना ट्राली वाला सफारी का पुराना सूटकेस लेकर निकल पड़ा !! स्टेशन पहुँच कर आगरा का जनरल टिकट लिया और सामने खड़ी कालका मेल के स्लीपर कोच में घुस गया !! लगभग पौने चार बजे आगरा पहुँचा ! वहाँ TTE रेस्टरूम में रमेश अंकल से मिला ! उन्होंने आगरा से बांद्रा टर्मिनस की एक वेटिंग टिकट हाथ में देते हुए कहा , 
"सुनो बेटा! यहाँ से सवा छह बजे एक आगरा-कोटा एक्सप्रेस जाती है जो सबेरे 9 बजे कोटा पहुँचेगी ! इस गाड़ी के दो डिब्बे देहरादून से आने वाली देहरादून-बांद्रा एक्सप्रेस में जुड़ते हैं ! अभी इस गाड़ी में मैं बर्थ दिलवा दूँगा और कोटा में जो भी TTE हो उससे मेरा नाम बता देना तो कोटा से बांद्रा तक वो बर्थ दे देगा !!" 
ठीक है अंकल thank you so much !! 
चलो चाय पीकर आते हैं !! अंकल जी बोले !!
फिर वहाँ चाय नाश्ता करके हम ट्रेन का इंतज़ार करने लगे !! छह बजे वो मुझे लेकर 4 नम्बर प्लेटफ़ॉर्म पर गए उस ट्रेन के TTE से मेरा परिचय करवाकर बोले "मेरा भतीजा है! इसे बॉम्बे जाना है आप देख लेना जरा" 
मुझे बर्थ दिलवाकर अंकल जी चले गए !! मैं भी अपनी साइड अपर बर्थ में जाकर बैठ गया !!  सुबह करीब सवा सात बजे मैं कोटा पहुँचा !! वो दो डिब्बे जिन्हें उस ट्रेन में जुड़कर मुम्बई जाना था, उन्हें अलग करके बाकी ट्रेन वापस आगरा के लिए चली गई !! मैंने अपना सामान उन्हीं में से एक डिब्बे में एक बर्थ के नीचे बाँध दिया और नीचे उतरकर देहरादून एक्सप्रेस का इंतज़ार करने लगा !! आधे घण्टे बाद ट्रेन आयी !! मैं लपककर TTE के पास पहुँचा और बड़ी रंगबाजी से रमेश अंकल का परिचय देते हुए उससे बर्थ माँगी !!
"बर्थ नहीं है!"
उसने टका से जवाब दिया !!
मैंने फिर जोर देकर रमेश अरोड़ा जी का नाम बताया तो वो गुस्से से बोला 
"अरे जब बर्थ है नहीं तो क्या पैदा कर दें !"
जाओ जहाँ मन हो बैठ जाओ जाके ! अगर कोई बर्थ खाली हुई तो देखते हैं !!
मैं परेशान था क्योंकि अभी पूरे 20 घण्टे से ज्यादा का सफर बाकी था और इस गर्मी में बिना सीट के सफर काटना बेहद मुश्किल हो जाता !! खैर मरता क्या न करता ! जहाँ सामान बाँधा था वहीं जाकर खड़ा हो गया !! ट्रेन में वाकई जगह नहीं थी क्योंकि हर डिब्बे की 72 सीटों पर 100 से 120 लोग तो पहले से ही बैठे थे ! मैं मन ही मन रमेश अंकल को कोस रहा था कि कहाँ फँसा दिया यार !! खैर ट्रेन चली और मैं डिब्बे के बाथरूम के पास ज़मीन पर अखबार बिछा कर बैठ गया !! यूँ ही बैठे बैठे एक एक स्टेशन गुज़रता जा रहा था ! जब ट्रेन रुकती तो मैं उतर कर प्लेटफार्म पर थोड़ा टहल लेता और जब चलती तो फिर वहीं गेट के पास अखबार बिछा कर बैठ जाता !! राजस्थान के स्टेशनों में एक खास बात देखने मिली कि हर स्टेशन पर मारवाड़ी समाज के लोग मुफ्त जलसेवा दे रहे थे !! जैसे ही ट्रेन रुकती लोग दौड़कर डिब्बे के पास आकर खिड़कियों से आपकी बोतलें आदि ठन्डे पानी से भर देते थे !! उन दिनों स्टेशनों में ठण्डे पानी की मशीनों का सिस्टम नहीं शुरु हुआ था !!
खैर यह सब देखते देखते रतलाम स्टेशन आ गया ! इस समय दोपहर का ढाई बजा होगा !! यहाँ गाड़ी आधे घण्टे के लिए रुकी !! मैंने यहीं खाना खाया और फिर TTE के पास जाकर उनसे बर्थ के लिए अनुरोध किया !! पता नहीं क्यों पर उसे मेरी हालात पर तरस आ गया ! वो बोला जाओ S-9 की सात नम्बर बर्थ ले लो !! यह साइड लोअर बर्थ थी एकदम गेट से लगी हुई !! मैं दौड़कर अपना सामान ले आया और उस बर्थ पर कब्जा कर लिया !! और फिर राजस्थान और गुजरात के अलग अलग शहरों से होते हुए अगले दिन यानी शुक्रवार सुबह चार बजे मैं मुम्बई के बांद्रा टर्मिनस तक पहुँच गया !!
मैंने सोचा कि उजाला होने तक यहीं इंतज़ार करता हूँ फिर कुछ होटल आदि का इंतज़ाम करूँगा !! बाहर आकर पहले चाय पिया फिर उसी चायवाले से होटल के बारे में पूछा !! उसने बताया कि यहाँ ढेर सारे होटल हैं !! मैं तीन चार होटलों में गया पर सारे होटल महँगे थे !! कोई भी 1500 से नीचे नहीं था !! और मेरे पास कुल 2000 रू थे जिसमें से 250 रू खर्च हो चुके थे !! तो मुझे तीन चार सौ वाला होटल चाहिए था !! मैं वापस फिर उसी चायवाले के पास पहुँचा तो उसने कहा आप खार ईस्ट या सांताक्रुज ईस्ट चले जाइये वहाँ कुछ सस्ते लॉज मिल सकते हैं !! 
मैं लोकल ट्रेन से सांताक्रुज ईस्ट पहुंचा ! वहाँ पर एक ऑटो वाले से मैंने किसी सस्ते लॉज के बारे में पूछा ! मेरे लहज़े से वो समझ गया कि मैं भी भैया हूँ !! बोला कहाँ के हैं आप ? मैंने कहा कानपुर के !! 
वो बोला "अरे हम लालगंज रायबरेली से हैं !! आप तो मेरे ही इलाके हैं चलिए आपका कुछ तो इंतज़ाम करवाना ही पड़ेगा !!" वो मुझे थोड़ी दूरी पर एक सस्ते से लॉज में ले गया जिसका नाम अनिल गेस्ट हाउस था !! उसमें एक बड़े से हॉल में अलुमिनियम पार्टीशन करके 8×6 के छोटे छोटे केबिन बनाये गए थे !! जिसका किराया 300 रू रोज़ था !! मैंने एक केबिन ले लिया ! उसमें एक 6 बाय 3 का bed और बगल में एक चौकी पड़ी थी जिसमें एक जग में पानी और एक ग्लास था ! केबिन में बाहर से ताला लगा सकते थे पर ऊपर से सब एक ही था तो कोई सुरक्षा नहीं थी ! मैंने भी सोचा कि जब भी बाहर जाऊँगा तो रुपये और documents अपने साथ ही ले जाऊँगा !! रह गए कपड़े तो वो कोई क्यों चुराने लगा !! 
अब मेरे पास शुक्रवार का पूरा दिन था क्योंकि इंटरव्यू तो कल सुबह था इसलिए मैंने तय किया कि आज सबसे पहले जाकर कम्पनी का ऑफिस पता करूँगा जिससे कल इंटरव्यू के लिये समय से पहुँच सकूँ, फिर थोड़ा मुम्बई दर्शन किया जाएगा !! 
तो सुबह 10 बजे जीवन में पहली बार मुम्बई का वड़ापाव नाश्ते में खाकर मैं निकल पड़ा! पहले मुम्बई लोकल ट्रेन गाइड खरीदी फिर लोकल में बैठा। सांताक्रुज से अंधेरी केवल दो स्टेशन आगे है, पर मैंने टिकट जोगेश्वरी तक का लिया। पहली बार मुम्बई लोकल का सफर उसके peak hours में किया ! बाप रे ! कैसे रहते हैं लोग यहाँ !! इतनी भीड़ तो हमारे यहाँ केवल कार्तिक पूर्णिमा के मेले में या परेड की रामलीला में होती है।
थोड़ी देर बाद मैं Blue Cross Limited के ऑफिस के बाहर खड़ा था। बड़ी सी बिल्डिंग थी। उसके ठीक बगल में Himalaya कम्पनी का ऑफिस था। मुझे अपने होटल से यहाँ आने में लगभग 45 मिनट लगे। ऑफिस तो देख लिया अब क्या किया जाए ? मैंने खुद से सवाल किया और निकल पड़ा मुम्बई दर्शन को! सबसे पहले दादर स्टेशन पहुँचा जहाँ से shared taxi में बैठकर केवल 5रू में सिद्धिविनायक मन्दिर पहुँचा! गणपति दर्शन के बाद महालक्ष्मी मन्दिर और फिर गेटवे ऑफ इण्डिया ! शाम को जुहू में पहले अमिताभ बच्चन का बंगला प्रतीक्षा देखने गया। पर लोगों ने बताया कि अब वो यहाँ नहीं रहते। पास ही उनका दूसरा बंगला जलसा है उसमें रहते हैं। उनकी माताजी अभी भी इसी बंगले में रहती हैं। फिर मैं शाम को जुहू चौपाटी गया। वहाँ की भेल और पानीपुरी खाई। पूरे दिन खूब मस्ती करके देर रात लॉज पर पहुँचा। 

अगले दिन शनिवार को सुबह जल्दी तैयार होकर मैं कंपनी के ऑफिस 09:30 तक पहुँच गया! मुझे वहाँ Mr.N.Sateesh (National Sales Head) से मिलना था! Reception पर अपना परिचय देते हुए मैंने पूरी बात बताई! उन्होंने मुझे Mr.Rajesh Puri के पास भेजा जो शायद H.R.  Department से थे !  
पुरी साहब मुझे सतीश जी केबिन के बाहर तक ले गए और बोले अभी सर आये नहीं है! जब आएंगे तब आपको मिलवा देंगे। आप यहाँ इंतज़ार करिए। मैं बाहर पड़े सोफे पर बैठकर सतीश जी इंतज़ार करने लगा! 
लगभग पौने ग्यारह बजे एक छोटे से कद का घुंघराले बाल और मोटा से चश्मा लगाए एक व्यक्ति आया और मेरी ओर देखे बिना ही केबिन में   चला गया। शायद यही सतीश जी थे। मेरी धड़कने तेज हो रही थीं! यह पहला मौका था जब मैं किसी कम्पनी के National Head से मिलने जा रहा था। अब इंतज़ार मुश्किल हो रहा था।  लगभग साढ़े ग्यारह बजे, पुरी साहब हाथ में मेरी file लिए हुए उनके केबिन में दाखिल हुए! 5 मिनट बाद एक व्यक्ति आया और बोला जाइये आपको बुला रहे हैं। 
Sir May I Come in?
Yes please! Have a seat!
इंटरव्यू शुरू हुआ -

Q:- So tell me some thing about yourself?

Sir I am Ambesh Tiwari........के बाद पूरा एक traditional introduction.

Q:- This is first time you came to Bombay?

Yes Sir!!

Q:- When did you reached here?

Sir, Yesterday Morning!

Q:- So, what you did yesterday whole day?

Sir, I visited various places like Siddhi Vinayak, Gateway, Juhu Chaupati etc.

Q:-Very good! so you enjoyed a lot?

Yes Sir!

Q:- What are major products of your company?

Sir, It's Slimmerz(Weight reducing Capsule), Esulide-100DT(Nimesulide) Onkar-20 (Omeprazole) etc. 

Q:- Tell me about the indications and mode of action of Omeprazole.

Sir it is used for hyperacidity. 

Q:- and mode of action ??

Sorry Sir !!

Q:- OK, Mr.Tiwari please tell me the three major products of our company Blue Cross !!

Sorry Sir ! I don't know. 

Q:- Mr.Tiwari, you had plenty of time to spend ! Don't you think that you should gain the knowledge of the products of that company in which you are planning to work?

......................लम्बी खामोशी !! Sorry Sir !!

OK Mr.Tiwari, wait outside !!

मैं केबिन से बाहर निकल आया !! मैं समझ चुका था कि परिणाम क्या आने वाला है। दस मिनट बाद पुरी साहब बाहर आये और बोले आइए मेरे साथ !!
मुझे वो अपनी सीट पर ले गए और बोले "सॉरी ! तिवारी जी आपका selection नहीं हुआ है! आप अपना travelling expense इस फॉर्म में भर कर ले सकते हैं यह कहकर उन्होंने एक form मुझे दे दिया ! 
मैं आँखों में आँसू लिए वो फॉर्म हाथ में लेकर बाहर रिसेप्शन पर आ गया! किसी तरह काँपते हाथों से मैंने वो फॉर्म भर कर रिसेप्शन में जमा कर दिया। थोड़ी देर बाद पुरी साहब ने खर्चे के रुपये दिए और हाथ मिलाते हुए बोले "Better Luck next time!"
23 साल के जीवन में यह मेरा पहला Failure या Rejection था! जो आत्मविश्वास कल तक चरम पर था, आज वो धराशायी हो चुका था!

पर दोस्तों ज़िंदगी की असली लड़ाई इसके बाद शुरू हुई थी ! 
इस असफलता से मैं कैसे उबरा और कुछ दिनों के बाद Blue Cross से भी बड़ी कम्पनी J.B.CHEMICALS LTD यानी "Unique" में मुझे कैसे नौकरी मिली इसकी कहानी अगले भाग में !!

मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा बन नहीं पाया !

  मेरे पापा कोई सुपरमैन नहीं हैं पर फिर भी, मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा कभी बन नहीं पाया ! स्कूटर खरीदने के बाद भी चालीस की उम्र ...