Saturday, May 20, 2017

उठो लाल अब आँखें खोलो !

मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर 16 मई 2017 को लिखी गयी व्यंग्य कविता -

उठो लाल अब आँखें खोलो,
तीन साल हो गए कुछ तो बोलो !

सीमा पर नित सैनिक मरते,
और नक्सली हमले करते,
कोई एक्शन करो जनाब,
तुम तो केवल निन्दा करते !
रिश्वतखोरी अब भी वैसी,
महँगाई भी जैसी तैसी !
रोज़गार है कहाँ बताओ ?
कालाधन अब तो ले आओ !
बिना बात की मन की बात,
अब तो कर लो जन की बात !
समय निकलता उसे न खो,
मेरे प्यारे अब मत सो !!

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अम्बेश तिवारी

मन की बात

एक कविता -

कुछ अनकही सी बातें मेरे और तुम्हारे बीच
हवा में डोलती हैं,
हम कहते कुछ और हैं पर निगाहें कुछ और बोलती हैं !
समाज की मर्यादा, रिश्तों के बंधन और
उम्र की सीमायें रोकती है हमें !
तुम क्या सोचोगी, मैं क्या जवाब दूँगा,
यह आशंकाएं टोकती हैं हमें !
और हम रह जाते हैं सिर्फ Good morning, Good night, और Nice pic के बीच झूलते !
हर बार यही सोचते कि आज तो कह ही देंगे,
और हर बार फिर यही बात भूलते !
ज़िन्दगी यूँ ही धीरे धीरे निकल जायेगी हाथ से,
और हम रह जाएंगे दूर मन की बात से !

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अम्बेश तिवारी

मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा बन नहीं पाया !

  मेरे पापा कोई सुपरमैन नहीं हैं पर फिर भी, मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा कभी बन नहीं पाया ! स्कूटर खरीदने के बाद भी चालीस की उम्र ...