आज मम्मी की पहली पुण्यतिथि है ! एक वर्ष पहले आज ही दिन मम्मी हम सब को छोड़ कर चली गईं थीं ! एक वर्ष में करोड़ों पल और हर पल जैसे एक युग की तरह बीता ! मेरे लिए आज भी स्वीकार करना कितना मुश्किल है कि मम्मी तुम नहीं हो !
एक बरस यूँ बीत गया है
पर मानो हो कल की बात,
क्रूर काल ने छीन तुम्हें
हम सब पर किया वज्र-आघात !
जीने को तो जी ही लेंगे
जीवन जैसे-तैसे हम,
पर यह घर सूना है तुम बिन,
और तुम्हारी हर पल याद !
यह शरीर मरता हैं माँ ! पर
तुम तो मुझमें रची बसी हो,
मेरे मन को सदा यकीं है,
माँ तुम अब भी यहीं कहीं हो !