Saturday, January 19, 2019

वो हँसी कहाँ से आती है?

वो हँसी कहाँ से आती है?

पोर-पोर हँसता चेहरा
निर्बाध बहता
अविरल झरना खुशी का
भरसक फैले होंठ
खिली बत्तीसी
आँखों से झरती, गिरती, ढुलती
उन चेहरों की
वो हँसी कहाँ से आती है?

कड़ी धूप, उमसती गर्मी
सिर पर थैला, उमगते कदमों से
गली, मोहल्ला, हाट बाजार
लाल जलेबी, भजिए खाते
सज-सँवरकर
धूप को धूल चटाते
अल्ह़ड़ उन चेहरों की
वो हँसी कहाँ से आती है?

कहीं बेफिक्र, गर्वीली
निश्छल, लजाती कहीं
कभी वजह से
बेवजह ही कभी
खिलती, खनखनाती, फूटती,फैलती
उन चमचमाते गहनों सजे चेहरों की
वो हँसी कहाँ से आती है?

:::

अम्बेश तिवारी
19.01.2019

होली पर व्यंग्य कविता

 होली पर व्यंग्य कविता  अबकी होली पर दिल्ली ने बदला ऐसा रंग, छोड़ आप का साथ हो गयी मोदी जी के संग, मोदी जी के संग करो मत महंगाई की बात, अपने ...