हाँ ! सच कह रहे हैं आप ! मैं अयोग्य हूँ.....
क्योंकि योग्यता के आपके कुछ मापदंड हैं,
जो आपने नहीं बनाये पर बनाये हैं इस समाज ने..
आप तो केवल उन मापदंडों के आधार पर मेरा
मुल्यांकन करते हैं
मुझे तौल-परख कर फिर नकारा करार करते हैं !
सच है कि मैं एक मामूली नौकरी करके मुश्किल से
अपना खर्च चला पाता हूँ,
रोज़ कुआँ खोदता हूँ रोज़ पानी लाता हूँ !
सच है कि मैं नहीं बना पाया कोई भी प्रॉपर्टी,
और मेरे बैंक खाते में नाम मात्र की रकम रहती है
!
यह भी सच है मेरे घर में पैसों कि जगह
सिर्फ उम्मीदों और तसल्ली की बयार बहती है !
तो क्या हुआ अगर मेरे पास दुनिया भर का ज्ञान है
!
और जिसके कारण कुछ गिने चुने लोगों की नज़रों में
मेरा थोडा बहुत मान है !
पर ऐसे ज्ञान और मान का क्या है फायदा ?
जो मुझे दौलत और शोहरत न दिला सके
कोई मकान, प्रॉपर्टी, या बैंक बैलेंस भी न बढ़ा
सके !
गलत पढाया गया था हमें किताबों में
कि दौलत और स्वास्थ्य भले चला जाये,
पर इंसान का चरित्र नहीं गिरना चाहिए !
क्योंकि मेरे चरित्र में तो कोई खराबी नहीं है,
सिवाय इसके कि बोल देता हूँ कड़वा सच !
यह सोचे बगैर कि इसका परिणाम मेरे विपरीत भी हो
सकता है !
शायद यही मेरी असफलता का सबसे बड़ा कारण है,
क्योंकि मैं अयोग्य हूँ आपकी नज़रों में !
क्योंकि इस समाज के बनाये पैमानों पर मैं खरा
नहीं उतरता !
हाँ ! सच कह रहे हैं आप ! मैं अयोग्य हूँ.....
::::अम्बेश तिवारी
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