Wednesday, November 27, 2024

लज्ज़त की जब बात चले तो कानपूर की है क्या बात

लज्ज़त की जब बात चले तो कानपूर की है क्या बात!

यहाँ के हर कोने में भईया मिलता एक निराला स्वाद !

बनारसी की चाय से खिलती हर सुबह मुस्कान यहाँ,

और जलेबी जैन की मिल जाये तो दिल कुर्बान यहाँ!

खस्ते रामनारायण के हों, राम प्रसाद की चाट मिले, 

पहलवान का मट्ठा पीकर तन मन का हर रोम खिले!

खाओ पराठे कृष्णा वाले, राजकुमार के छोले मस्त!

यादव जी का बाटी-चोखा खाकर तबियत होये दुरुस्त!

मोहन खस्ता बड़ा निराला, और समोसे मुन्ना के,

खाओ मलाई मक्खन शुक्ला जी का छोटे दुन्ना में!

बनारसी का बूँदी लड्डू और कचौड़ी भीखाराम,

घण्टा घर पर थाली खाकर जपो निरन्तर जय सिया राम!

ठग्गू के लड्डू को चखकर, कुल्फी खाओ जो है बदनाम,

और मिठास की लस्सी पीकर, संगम पान पे बीते शाम !

आई आई टी के दही बड़े और केसरवानी डोसा हो,

बुद्धसेन की ग़ज़ब मिठाई, जनवादी का समोसा हो!

गोल बताशे शंकर वाले, राम के पेड़े जग-विख्यात,

लज्ज़त की जब बात चले तो कानपूर की है क्या बात!!

©

अम्बेश तिवारी

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