Wednesday, November 13, 2013

नरेन्द्र मोदी की बात और मुफ्त का प्रचार.......

किसी पत्रकार ने नरेन्द्र मोदी के बारे में ठीक ही कहा था कि आप उनका समर्थन कर सकते हैं, आप उनका विरोध कर सकते हैं पर आप उन्हें नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते | पर आजकल मैं देख रहा हूँ कि लोगों में मोदी का नाम लेकर प्रचार पाने की होड़ सी लगी हुई है | अभी कुछ दिन पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजे जा चुके डॉ. यूआर अनंतमूर्ति ने कहा था कि वे ऐसे देश में नहीं रहना चाहेंगे जिस पर मोदी का शासन हो। कुछ महीने पहले उन्होंने मीडिया से बात करते हुए नरेंद्र मोदी की तुलना जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर से की थी। डॉ. यूआर अनंतकृष्णमूर्ति ने मोदी की तुलना इटली के फासीवादी तानाशाह मुसोलिनी से भी कर चुके हैं। उनका कहना है कि मोदी का नाम आते ही उन्हें मुसोलिनी की याद आ जाती है। 

इससे पहले कांग्रेस के नेता उन्हें "मौत का सौदागर" और "दानव" तक बता चुके हैं और आज जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर हरबंस मुखिया ने नरेंद्र मोदी की तुलना मुगल शासक औरंगजेब से की है। मुखिया कहते हैं कि मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के लिए अब तक जो रास्ता अपनाया है उसमें औरंगजेब की चतुराई और रास्ते के कांटों के लिए निर्ममता साफ झलकती है।
जनवरी, 2010 में कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणि शंकर अय्यर ने नरेंद्र मोदी की तुलना इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन से कर डाली थी। स्थानीय निकाय चुनावों में मतदान को अनिवार्य करने की गुजरात सरकार की कोशिशों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए अय्यर ने मोदी को सद्दाम जैसा बताया था।

पाकिस्तान में कई लोग नरेंद्र मोदी के कद से परेशान हैं। मशहूर पाकिस्तानी पत्रकार, लेखिका और फिल्मकार बीना सरवर के मुताबिक, 'जिस तरह से आप लोग (भारतीय) हाफिज सईद के बढ़ते असर से चिंतित हैं, ठीक उसी तरह पाकिस्तान में लोग मोदी के बढ़ते कद से परेशान हैं। सईद से डर थोड़ा कम है क्योंकि वह निकट भविष्य में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि नहीं बनने वाले हैं।' पाकिस्तान के न्यूज चैनल एआरवाई के एंकर और पत्रकार आमिर गौरी भी मोदी और उनके भाषणों की तुलना हाफिज सईद से करते हैं।

इससे भी मजेदार बात यह है कि जब मशहूर गायिका स्वर कोकिला और भारत रत्न से सम्मानित सुश्री लता मंगेशकर ने कहा कि वो श्री नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनते देखना चाहती हैं तो कांग्रेस के एक मंत्री भक्त चरण दास ने यहाँ तक कह डाला कि लता जी को कितने लोग जानते हैं? ये भक्त चरण दास वहीँ है जो उन्नाव में सपने के आधार पर की जाने वाली खुदाई के मुख्य कर्ताधर्ता थे|

हाँ! यहाँ मैं नोबल पुरस्कार से सम्मानित श्री अमर्त्य सेन का जिक्र करना भूल गया जिन्होंने कहा था कि भारत का नागरिक होने के नाते वो नहीं चाहते कि मोदी देश के प्रधानमंत्री बने|
मसला यह है कि आखिर क्यों नरेन्द्र मोदी इतने महत्वपूर्ण हो गए कि हर कोई या तो उनके समर्थन में है या विरोध में | इससे पहले भी देश में चुनाव हुए हैं और 2009 में भाजपा के प्रत्याशी श्री अडवाणी जी भी कट्टर संघ के प्रचारक और हिंदूवादी नेता थे, और तो और वो 1992 की विवादित ढांचा विध्वंश के मामले में आरोपी भी हैं तब क्या कारण है कि उनके खिलाफ हमें इस तरह के बयान देखने को नहीं मिले |

मतलब साफ़ है लोग जानते हैं कि इस समय पूरे देश में नरेन्द्र मोदी के नाम की एक जबरदस्त लहर है और मोदी के समर्थक उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुनना चाहते जबकि उनके विरोधी इसी आस में बैठे रहते हैं कि कोई बड़ी शाख्शियत उनके खिलाफ कुछ बोले और वो लोग उसका जमकर प्रचार करें |

पर एक बात तो तय है कि नरेन्द्र मोदी का नाम इस समय जबरदस्त लाइमलाइट में है और हर व्यक्ति उनके नाम के साथ अपना नाम जोड़ कर प्रचार पाने के जुगाड़ में है |
किसी और की क्या बात करें मैं स्वयं भी यह ब्लॉग इसीलिए लिख रहा हूँ कि शीर्षक में मोदी का नाम देखकर ज्यादा से ज्यादा लोग इस ब्लॉग को पढेंगे|

चलिए आप भी करते रहिये मोदी की चर्चा अच्छी या बुरी कुछ भी पर मोदी की बात होनी चाहिए..........

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