कुछ मुक्तक -
1.
सावन में बादलों के आँसू निकल रहे हैं,
जैसे धरा से मिलने को वो मचल रहे हैं ।
जब से हुई मोहब्बत दोनों का हाल यह है,
तुम भी फिसल रहे हो, हम भी फिसल रहे हैं ।
2.
जो दोस्त अपना हमको कब से बता रहीं थीं,
पैसे भी हमारे वो जम कर उड़ा रहीं थीं ।
पहुँचे जब उनके घर पर इज़हारे इश्क़ करने,
डोली में बैठ कर वो ससुराल जा रहीं थीं !
3
इस दिल में मोहब्बत के कुछ दीप जल न पाये,
तुमने की बेवफाई, और हम संभल न पाये।
दुनिया बदल गई है, मौसम बदल गए हैं,
तुम भी बदल गए हो, पर हम बदल न पाये ।
4
तुमने तो समझा जुगनू, महताब बन गया मैं,
तेरे सभी सवालों का जवाब बन गया मैं ।
तुमने बिना पढ़े ही ठुकरा दिया था जिसको,
अब पढ़ रहा ज़माना वो किताब बन गया मैं !
5
कभी शोला कभी शबनम कभी अंगार लिखेंगे,
कभी आँसू की नदिया और कभी मझधार लिखेंगे !
हम अपनी ज़िन्दगी की दास्ताँ जब भी लिखेंगे तब,
तुम्हारा नाम लिखेंगे, तुम्हारा प्यार लिखेंगे !
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