1
कैसे भी मुश्किलात हों लड़ना सिखा दिया,
ठोकर लगे तो गिर के संभलना सिखा दिया ।
अब मुझको ज़माने के तौर हो गए मालूम,
माँ ने मुझे इंसान को पढ़ना सिखा दिया !
दो वक़्त की रोटी तो थी पहले भी कमाई,
कैसे हो बरक्कत मुझे करना सिखा दिया !
2
तेरे बिन यह शहर कितना अज़ीब लगता है,
चाहने वाला भी मुझको रक़ीब लगता है,
जिनके सर पे है उनकी माँ का साया अब मुझको,
ऐसा हर शख्स बड़ा खुशनसीब लगता है !
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