Sunday, August 21, 2016

हवा के संग संग गीत सुनाना अच्छा लगता है !

हवा के संग संग गीत सुनाना अच्छा लगता है,
तारे गिन गिन रात बिताना अच्छा लगता है ।
वो बोलीं इस बारिश में एक रेनकोट ले लो,
हम बोले हमें भीग के आना अच्छा लगता है !

कोई भुला न पाया अपने बचपन वाले खेल,
कंचे, लूडो, गुल्ली डंडा, पटरी वाली रेल,
क्लास के बाहर मुर्गा बनना, रोज़ मार खाना,
नकल मार कर पेपर लिखना या हो जाना फेल ।
बारिश में भी पतंग उड़ाना अच्छा लगता है,
उनसे नज़र के पेंच लड़ाना अच्छा लगता है ।
हवा के संग संग गीत सुनाना अच्छा लगता है,
तारे गिन गिन रात बिताना अच्छा लगता है ।

मोती झील की सैर सुहानी, माल रोड की चाट,
अब भी याद आती है उनसे पहली मुलाक़ात ।
छुप छुप मिलना, बातें करना लव लैटर देना,
वो रीगल में फ़िल्म देखना, DDLJ साथ,
हमको अब तक वही ज़माना अच्छा लगता है,
उनकी गली में आना जाना अच्छा लगता है ।
हवा के संग संग गीत सुनाना अच्छा लगता है,
तारे गिन गिन रात बिताना अच्छा लगता है ।

जब से शादी हुई रात दिन बन गए कोल्हू बैल,
याद रह गया सब्जी, भाजी, राशन, नून और तेल,
महंगाई में आटा गीला, पतली हो गयी दाल,
पत्नी से प्रतिदिन का झगड़ा, जैसे कोई खेल ।
बिना बात के बहस लड़ाना अच्छा लगता है,
जब वो रूठे उन्हें मनाना अच्छा लगता है ।
हवा के संग संग गीत सुनाना अच्छा लगता है,
तारे गिन गिन रात बिताना अच्छा लगता है ।
वो बोलीं इस बारिश में एक रेनकोट ले लो
हम बोले हमें भीग के आना अच्छा लगता है !

:::::अम्बेश तिवारी "अम्बेश"

No comments:

होली पर व्यंग्य कविता

 होली पर व्यंग्य कविता  अबकी होली पर दिल्ली ने बदला ऐसा रंग, छोड़ आप का साथ हो गयी मोदी जी के संग, मोदी जी के संग करो मत महंगाई की बात, अपने ...