Thursday, May 12, 2016

इस किताब का पन्ना पन्ना तेरा है !

शब्दों का यह बहता दरिया तेरा है,
मैं जो भी लिखता हूँ चर्चा तेरा है !

मौसम की यह धूप सुनहरी, सर्द हवाएं,
और बसंती ऋतु का पहरा तेरा है !

जो भी ख्वाब खुदा ने मुझको बख्शे हैं,
उन ख्वाबों का कतरा कतरा तेरा है !

जितनी उम्र कटी तेरे बिन ख़ाक हुई,
अब जीवन का लम्हा लम्हा तेरा है !

तुझको छोड़ के जाऊं भी तो जाऊं कहाँ,
मेरा सब सुख चैन, बसेरा तेरा है !

जब अपना सर्वस्व तुम्हीं को सौंप दिया,
तब जो कुछ मेरा है, वो सब तेरा है !

इक-इक कविता, गीत, ग़ज़ल में तुम शामिल हो
इस किताब का पन्ना, पन्ना तेरा है !

:::::अम्बेश तिवारी
12.05.2016

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