Tuesday, June 7, 2016

तुम प्रेम गीत मत गाना साथी !

तुम प्रेम गीत मत गाना साथी !
प्रेम गीत मत गाना !

जब तक कन्धों पर रहे भार,
भारत माँ का तुम पर उधार,
अपना तन मन धन सब देकर,
मिट्टी का क़र्ज़ चुकाना साथी !
प्रेम गीत मत गाना साथी,
प्रेम गीत मत गाना !

कितने जवान आतंकवाद की,
भेंट यहाँ चढ़ जाते हैं !
उनके बीवी बच्चे, प्रियजन,
बस बिलख बिलख रह जाते हैं !
क्या उनके अश्रु भुलाकर हम,
यूँ प्रेम मगन हो पाएंगे
क्या उनके बलिदानों को हम,
बस यूँ हीं व्यर्थ गँवाएंगे !
इन बलिदानों पे तुम भी चाहे,
न्योछावर हो जाना साथी !
पर प्रेम-गीत मत गाना साथी,
प्रेम गीत मत गाना !

तुम मुझे भुला दो कष्ट नहीं,
पर राष्ट्रप्रेम मत बिसराना,
मेरे सुख की खातिर तुम,
निज आदर्शों से मत डिग जाना ।
मैं भारतवर्ष  की नारी हुँ,
जो जौहर में जल जाती हैं,
पर किसी दरिंदे के आगे,
मर्यादा नहीं गंवाती हैं ।
तुम उसकी लाज बचाने को,
चाहे मर मिट जाना साथी !
पर प्रेम गीत मत गाना साथी,
प्रेम गीत मत गाना !

मुझको तब तक स्वीकार
तुम्हारा प्रेम नहीं हो पायेगा,
मानवता का हर शत्रु न जब तक
काल-ग्रसित हो जाएगा !
है नहीं जरूरी के तुम केवल
शस्त्र उठा कर लड़ सकते,
इतिहास साक्षी है के,
युद्ध तो कलम से भी हो जाएगा !
मेरी वियोग पीड़ा से डर
तुम कहीं हार मत जाना साथी !
प्रेम गीत मत गाना साथी,
प्रेमगीत मत गाना !

तुम प्रेम गीत मत गाना साथी !
प्रेम गीत मत गाना !

:::::
अम्बेश तिवारी
06.06.2016

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