सत्य अहिंसा से लोगों का अब बस इतना नाता है,
दीवारों पर लिखते हैं, दीवाली पर पुत जाता है !
उस गरीब का खेत बिक गया जिस इन्साफ के चक्कर में,
वो इन्साफ किसी धनवान की चौखट पर बिक जाता है !
यहाँ किसानों के मरने पर एक आवाज़ नहीं आती,
हीरोइन का पल्लू उड़ना, अखबारों में छप जाता है !
उनके गम क्या कहूँ , कि जिनके घर दंगों में खाक हुए !
तिनका तिनका जोड़ के कैसे कोई घर बनवाता है ।
कुछ भी फर्क नहीं आता है सत्ता के गलियारों में,
सालाना त्यौहार के जैसा यह चुनाव हो जाता है !
सत्य अहिंसा से लोगों का अब बस इतना नाता है,
दीवारों पर लिखते हैं, दीवाली पर पुत जाता है !
अम्बेश तिवारी
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